Wednesday 18 July 2012

वास्तु ऊर्जा



Mr. Dinesh Kumar - Vaastu Energy Expert , Vaastu Energy Consultant , Vaastu Energy Teacher



















 वास्तु ऊर्जा 

( ऊर्जा का प्राकृतिक स्त्रोत )












वास्तुशास्त्र  एक प्राचीन विज्ञान है जो सदियों से ससम्मान माना जाता रहा है  वास्तु मूल रूप से 'वस ' से बना है 'वस ' यानी वास करना /निवास करना / रहना ।




  वास्तुशास्त्र भवन स्थापत्य कला का विज्ञान है अथर्ववेद में इसका उल्लेख मिलता है वास्तु शास्त्र  को सही शब्दों में कहे तो इसमें " मनुष्य और प्रकृति " का एक अदभूत संबंध , एक ऐसा सम्बन्ध जो हर सम्बन्ध से ऊपर होता है  । प्रकृति सदियों से हमें यही सिखाते आई है कि अपने आप को मत भूलो, अपने कर्म को मत भूलो और  प्रकृति को मत भूलो . वास्तुशास्त्र को दुसरे शब्दों में " प्रकृति शास्त्र " कहे तो ज्यादा बेहतर होगा , आईये इस तथ्य को सत्य में देखते हैं सबसे पहले पंचतत्वों की बात करें -




भ - भूमि , ग - गगन  , व - वायु , अ - आकाश , अ - अग्नि , न - नीर ( जल )





गौर से इन शब्दों को देखे और जोड़े भ + ग + व + अ + अ  + न = भगवान 






वास्तुशास्त्र में इन  पंचतत्व के महत्व को काफी विस्तृत तरीके से समझाया गया है  वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखे तो ये " पांच तत्व " ऊर्जा के विशाल भंडार है (energy hub ) जिसकी व्याख्या की जाए उतनी कम है ।





A HEALFEEL UNIVERSE , AHMEDABAD , INDIA ये पांच तत्व और मनुष्य के बीच में एक गहरा नाता रहता है जो मूर्त या अमूर्त रूप में उसे ज्ञात रहता है पर बोध नहीं हो पाता , ये पांचो तत्व मनुष्य के निवास स्थान , उसके कार्य स्थान पर , उसके आंतरिक , बाहरी जीवन को विशेष रुप से प्रभावित करते रहते है । इन्ही पंच तत्वों के लाभ ,प्रभाव को समझकर उनको अपनाकर अपने घर की सरंचना (डिजाईन  ) या अपनी ऑफिस की सरंचना (डिजाईन) बनवाएँ, इस से मनुष्य अपने जीवन की दशा को नयी दिशा दे सकता है ।










वास्तु ऊर्जा अबाध गति से तभी बहती है जब उसके नियमो का पालन किया जाए , कुदरत के पास वह सब कुछ है जो हमें जीवन पर्यन्त चाहिए और  वह सब कुछ अति उपयोगी भी हैं पर आज के युग में कृत्रिम साधनों के साथ  लगाव ज्यादा बढ़ता जा रहा है इसी वजह से समस्याएँ भी ज्यादा पैदा हो रही है ,प्राकृतिक ऊर्जा से हमारा सम्बन्ध कटता जा रहा है वास्तु ऊर्जा प्रकृति से हमारा नाता जोड़े रखती है ताकि हम सुखी ,स्वस्थ , वैभव , समृद्ध , खुशहाल जीवन का निर्माण कर सके ।








'वास्तुशास्त्र की अनुपालना से सब लोग अच्छे स्वास्थ्य , सुख और हर तरह की सम्पन्नता को प्राप्त करते है ।
मानव जीवन दिव्यता प्राप्त करता है , साथ ही साथ दिव्य आनंद की अनुभूति प्राप्त करता है । '

- विश्वकर्मा 









हमारे प्राचीन शास्त्र प्रकाश पुंज की भाँति रोशनी  देते रहते हैं , वास्तु ऊर्जा का सम्बन्ध कर्म प्रधान जीवन शैली है बिना कर्म के फल प्राप्त नहीं होते । अच्छे कर्मों के पश्चात् भी जीवन उत्तम न बने तब वास्तुऊर्जा  का सहारा लेकर हम अपने जीवन को उत्तम बना सकते है पहले कारण होते है फिर परिणाम होते है । वास्तुशास्त्र के अनुसार परिवर्तन करवाना भी एक प्रकार का उत्तम कर्म माना जाता है ठीक वैसे ही जैसे ध्यान करना और  पूजापाठ करना ।



























Vaastu , Vaastu energy , Vastu Shastra










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